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लेखनी कहानी -02-Aug-2023 ब्लैक रोज

भाग 3 
अंजलि से फाइल लेकर विकास उसे देखने लगा । रणजीत नाम के शख्स का मर्डर 15 जुलाई को किया गया था । यानि कि रोहन के मर्डर से ठीक 18 दिन पहले । रणजीत की लाश के फोटोग्राफ्स देखने से पता चल रहा था कि मर्डर करने से पहले रणजीत को बहुत टॉर्चर किया गया था और बाद में किसी धारदार हथियार से रणजीत का गला रेता गया था । रणजीत की लाश के ऊपर एक ब्लैक रोज रखा हुआ था और ब्लैक रोज के नीचे एक कागज पर "आमीन" लिखा हुआ था । हत्या करने का तरीका दोनों में समान था इसलिए यह कयास लगाया जा सकता है कि संभवत: दोनों मर्डर एक ही व्यक्ति ने किये होंगे । 

उसने रणजीत की प्रोफाइल देखने की कोशिश की लेकिन फाइल में रणजीत की कोई हिस्ट्री लिखी हुई नहीं थी । रणजीत कौन था , क्या काम करता था , कुछ भी जानकारी नहीं थी फाइल में ।  रणजीत का खून किसने और क्यों किया , इसका पता तो रणजीत की हिस्ट्री देखकर लग सकता था लेकिन अंजलि ने इस पर अभी तक कोई काम नहीं किया था । इसकी लाश कहां मिली, इसका भी कोई उल्लेख नहीं था । इतनी अधिक लापरवाही ? विकास सोचने लगा कि पता नहीं कैसे कैसे लोग भरे पड़े हैं पुलिस विभाग में ! 18 दिन के बाद भी जांच एक इंच आगे नहीं बढी थी । इसी कारण तो पुलिस बदनाम होती है । और उस पर तुर्रा ये कि "मैडम" अपने आगे किसी को कुछ समझती ही नहीं है । खैर , गुस्सा करने से क्या होगा ? चलो , अंजलि से ही कुछ पूछते हैं । क्या पता उससे कुछ जानकारी मिल जाये ?

"अंजलि, रणजीत की लाश कहां मिली थी ? इसकी सूचना किसने दी थी ? इसकी हिस्ट्री कहां है ?  पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहां है" ? एक ही सांस में इतने सारे सवाल पूछ बैठा था विकास । 
"अरे बाप रे ! एक साथ में इतने सारे सवाल ? सर, पुलिस सवाल सुनने की नहीं, पूछने की आदी होती है । आप सीनियर हैं सर , इसलिए मैं जवाब दे दूंगी , वरना .. । धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता एक एक कर सवाल पूछिए सर" अंजलि के चेहरे पर उलाहने के भाव थे । 
"ओके । पहले ये बताओ कि रणजीत की लाश कहां और कब मिली थी" ? विकास अपने गुस्से पर नियंत्रण करते हुए बोला । 
"बस, इतना छोटा सवाल ? इस सवाल का जवाब तो मेरा रीडर दे देगा" । अंजलि ने बड़े घमंड से कहा और अपने रीडर को आवाज लगाई "सीताराम जी , वो ब्लैक रोज वाले केस में इंस्पेक्टर साहब को वह सब कुछ बता दो जो आपको पता है" । 

सीताराम विकास के पास आकर बैठ गया और बोला "पूछिए सर , क्या जानना है आपको" ? 
विकास को इस बात पर बड़ी झुंझलाहट हुई कि अंजलि ने केस को बहुत हलके में लिया था । उसने इस केस को अपने रीडर के भरोसे छोड़ दिया था । ब्लैक रोज जैसे कातिल तक क्या कभी कोई रीडर पहुंच पाएगा ? लेकिन वह क्या कर सकता है ? वह तो अपने केस की ही छानबीन कर सकता है बस , दूसरे के केस की नहीं । और वह इसी सिलसिले में यहां पर आया है । चलो, जितनी सूचना मिल जाये उतनी ही ठीक है । उसने रीडर से पूछना शुरू किया 
"रणजीत की लाश कहां मिली" ? 
"एक नाले के किनारे" 
"इसकी सूचना कब और किसने दी" ? 
"पुलिस की मोबाइल वैन उधर से गुजर रही थी , उसने यह सूचना दी । ये सुबह के लगभग 6 बजे की बात है" । 
"ये क्या काम करता था" ? 
"इसके कई काम थे । प्रॉपर्टी का भी काम करता था , ठेकेदारी का भी काम करता था । इनके अलावा भी कुछ और काम करता बताया" 
"क्या यह कोई अपराधी था ? मेरा मतलब है कि क्या इसके खिलाफ थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज है" ? 
"इसकी जानकारी मुझे नहीं है" । 

विकास को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस बाबत रिकॉर्ड देखा ही नहीं गया था आज तक । यदि देखा जाता तो जानकारी अवश्य मिल जाती । या तो ये लोग इतने लापरवाह हैं कि इन्हें इस केस में कोई रुचि नहीं है या फिर ये लोग जानबूझकर इसकी जांच नहीं करना चाहते हैं । अब क्या हो सकता है ? चलो , एक दो प्रश्नों से इसका पता चल जाएगा । उसने आगे पूछा 
"इसकी पत्नी , बच्चों से पूछताछ की होगी । उनका क्या कहना है" ? 
"वे लोग कह रहे हैं कि इसका स्वभाव बहुत उग्र था । सबसे लड़ता झगड़ता रहता था" । 

विकास को यह बात जम नहीं रही थी । रणजीत एक प्रॉपर्टी डीलर था और ठेकेदार भी था । इन दोनों धंधों में आदमी वही सफल हो सकता है जो बहुत ही नम्र और,सहनशील हो । उग्र स्वभाव वाला व्यक्ति इन धंधों में आगे नहीं बढ सकता है । अब या तो इसके घरवाले झूठ बोल रहे हैं या फिर यह रीडर । घरवाले तो क्यों झूठ बोलेंगे ? झूठ बोलने से उन्हें क्या फायदा होगा ? ऐसे अनेक प्रश्न उठने लगे विकास के मस्तिष्क में । पर जवाब किसी का नहीं था । 

विकास अपने ऑफिस में आ गया और उसने पुलिस विभाग के एक एप में रणजीत का नाम डाला तो उसके अपराधों की एक लंबी फहरिस्त सामने आ गई । विभिन्न थानों में उसके खिलाफ 20 से अधिक मामले थे । हत्या, बलात्कार, अपहरण, डकैती , मारपीट , लड़ाई झगड़ा सभी तरह के अपराध थे उनमें । अंजलि ने इसका बैक ग्राउंड तक नहीं खंगाला था । ऐसा क्यों किया उसने" ? विकास सोचता रह गया । 

विकास ने रणजीत के केसों की सूची डाउनलोड कर ली और उस का प्रिंट ले लिया । इसके लिए उसने अपने एक ASI को नियुक्त कर दिया जो विभिन्न थानों में जाकर उन केसो की फाइल देखे और पता करे कि कौन सा केस कब दर्ज हुआ और उसका क्या अंजाम हुआ है ? 

इसके बाद वह रश्मि के घर पुन: पूछताछ करने गया क्योंकि उसे अभी तक रोहन के कत्ल के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिली थी । रोहन का गैराज अभी बंद था । उसका स्टॉफ भी छुट्टियां मना रहा था इसलिए जांच जस की तस रही । थक हारकर विकास अपने घर आ गया । 

"आज कहीं बाहर चलें खाना खाने" ? विकास की पत्नी सोनाली ने विकास को देखकर चहकते हुए कहा । 
"क्यों आज खाना बनाने का मूड नहीं है क्या" ? विकास सोनाली को देखकर मुस्कुराते हुए बोला । 
"आपकी तो सप्ताह में एक दिन छुट्टी हो जाती है मगर हम पत्नियों की कभी कोई छुट्टी नहीं होती है । हमारा भी तो मन करता है कभी कभी छुट्टी करने का ! आज तो मैंने तय कर लिया है कि आज बाहर ही खाना खायेंगे, हां" । सोनाली ने अपनी गोरी गोरी बांहें विकास के गले में डाल दी और आंखों में भरी मय की मधुशाला विकास पर उडेल दी । इतना नशा चढने के बाद बेचारे मर्द में मना करने की हिम्मत कहां रहती है ? वह तो "हुक्म का गुलाम" बन जाता है । विकास कोई अलग किस्म का मर्द तो था नहीं, इसलिए वह सोनाली को खुश करने में लग गया । खुश रहने का एक ही फंडा है कि बीवी की हां में हां मिलाते रहो । दोनों तैयार होकर होटल "लजीज" पर आ गये । 

विकास सोनाली को लेकर "लजीज" में प्रवेश कर ही रहा था कि उसकी निगाह सामने चली गई । सामने से एक फ्रेश बी एम डब्ल्यू कार में से इंस्पेक्टर अंजलि उतर रही थी ।  अंजलि को छोड़ने के बाद ड्राइवर गाड़ी को पार्क करने के लिए वहां से ले गया । बी एम डब्ल्यू कार देखते ही विकास चौंक गया । "अंजलि बी एम ड्बल्यू मेनटेन करती है और ड्राइवर भी अफोर्ड कर लेती है । वह अभी तक "आल्टो" पर ही पड़ा हुआ है । अंजलि ने जो ड्रेस पहनी है वह भी कोई बीस पच्चीस हजार की तो होगी ! कहां से आया इतना पैसा ? वह भी तो उसके बैच की ही है फिर कैसे अफोर्ड कर लेती है ये सब" ? वह छुप छुप के देखने लगा । 
"अरे, वहां क्या कर रहे हो ? यहां भी ड्यूटी करनी शुरू कर दी है क्या ? चैन नहीं है दो मिनट को भी । चलो आ जाओ" । सोनाली विकास का हाथ पकड़कर खींचने लगी । 
"बस, एक मिनट सोनाली , तुम चेयर पर बैठो, मैं अभी आता हूं" ।  विकास छुपकर अंजलि पर निगाह रखने लगा । 

"गुड इवनिंग मैम । हैव ए नाइस डे" कहते हुए एक अधेड़ आदमी ने एक गिफ्ट पैक और एक ब्लैक रोज अंजलि को देते हुए कहा  ।
"ओह ! व्हाट ए लवली रोज ! एन्ड व्हाट इज दिस" ? अंजलि खुशी से चहकने लगी । उसकी मुस्कुराहट से उसकी सुन्दरता में चार चांद लग गये थे । 
"नो नो, इट्स नॉट ए रोज , इट्स ए ब्लैक रोज ! इट्स डिफरेंट" । उस आदमी की सौम्यता और विनम्रता गजब की थी । वह झुककर दोहरा हुआ जा रहा था । 
"और इसमें क्या है ? ये गिफ्ट पैक तो देखने में बहुत खूबसूरत लग रहा है" । अंजलि की मुस्कुराहट गजब ढा रही थी । 
"आपसे अधिक खूबसूरत नहीं है मैम । इसमें एक छोटा सा डायमंड सैट है जो आपके प्यारे प्यारे से कंठ के लिए है । उम्मीद है कि आपको ये पसंद आएगा" । 

विकास ने चुपके से उन दोनों की पिक अपने मोबाइल में कैद कर ली और वह चुपके से सोनाली के पास आकर बैठ गया । 

क्रमश: 

श्री हरि 
4.8.23 



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